मंगलवार, 21 जून 2022

विचार ( भाग 12 )

अनुसंधानशाला से विचार भाग 12 प्रस्तुत करते इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद

कोटेशन
विचार ( भाग 12 )
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद

** समझना से समझाना कठिन होता है। **

** साहित्य का महत्व दो तरह से आंका जाता है।
प्रथम शब्दों की प्रधानता द्वारा तथा दूसरा विचार , भाव इत्यादि की प्रधानता से।
शब्द प्रधान साहित्य के अनुवाद के बाद उसकी मूल गुणवत्ता नहीं रहती , क्योंकि अनुवाद के बाद शब्द बदल जाते हैं।
लेकिन विचार और भाव इत्यादि प्रधान साहित्य अनुवाद के बाद भी अपनी गुणवत्ता बनाए रखते हैं । क्योंकि भाषा बदलने के बाद भी विचार और भाव इत्यादि नहीं बदलता । ए शाश्वत हैं।**

** अनुश्वार (• ) और चंद्र बिंदु की उत्पत्ति संभवत: चांद और तारा देखकर  हुयी है। **

** अधिकांश कार्य दो प्रकार से पूरे किए जाते हैं -
1. हाथ से
2. मस्तिष्क से
इन दो प्रकार के कार्यों में पूरा संसार रत है। **

** जाति नाम , धर्म और भेष बदलकर बदली जा सकती है। **

** समाज ईश्वर का एक ब्रांच औफिस है। और व्यक्ति इसका एजेंट। **

** कलम का काम देखने में बहुत आसान , पर करने में भीषण कठिन है। जबकि कुदाल का काम देखने में भीषण कठिन , पर करने में आसान है। **

** विकास और विनाश समय पर सीधे निर्भर करता है। **

** नवीनता के लिए परिवर्तन आवश्यक है । और परिवर्तन के लिए नवीनता आवश्यक है। **

** सफलता के लिए अपने सामर्थ्य अनुसार लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी है। और निर्धारित समय में उसे पूरा करना भी जरूरी है। **

** जो शिकारी जिस तीर से शेर मारने की तमन्ना रखता है उससे गीदड़ भी नहीं मरे तो या तो शिकारी अनाड़ी है या गीदड़ चमत्कारी। **

** किसी तथ्य की सत्यता निम्न प्रकार से की जाती है।
1. मानक पुस्तक द्वारा
2. वैसा ही घटना देखकर या विश्वासी व्यक्ति से सुनकर।
3.  प्रयोगशाला में परीक्षण कर । **

** मानव संसार मुख्यत: तीन कर्मों में ही रत है।
1. दैहिक ( देह संबंधित )
2. भौतिक ( जीविका इत्यादि संबंधित )
3. आध्यात्मिक ( मन / आत्मा इत्यादि संबंधित )
अज्ञ और दुर्जन दूसरा और सज्ञ & विज्ञ दूसरा के साथ तीसरा पर जोर देते । प्रथम सभी को अंशत: या पूरा करना ही पड़ता है। **

** कोई जिधर घृणा करता उधर पीठ और जिधर भय देखता उधर मुंह रखता है। इसी प्रकार सोने में जिधर निर्भयता है उधर सिर और जिधर भय है उधर पैर रखता है।
उदाहरण स्वरूप गेहुंअन सर्प को लिया जा सकता है। जिधर मनुष्य देखता उधर अपना फन रखता है। **

** भारत में अराजकता के अनेक कारणों में से एक कारण यह है कि आजादी के बाद ग्रामीण प्रशासन जो पंचों द्वारा संचालित होता था धीरे धीरे शून्य होता गया।
यह प्रशासन 90% लोगों की समस्याएं सुलझाता था। अतः 90% समस्याएं खड़ी है।
आधुनिक पंचायत का प्रारूप वह नहीं जो पहले था। प्राचीन पंचायत की झलक मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी पंच परमेश्वर में दृष्टिगत होती है। **  

** प्रकाश ( चेतन ) और अंधकार ( जड़ ) इन दो से ब्रह्मांड निर्मित है। इन दोनों का मूल तम है। **

** मानव के पूरे जीवन में तीन ही साथी और संरक्षण बनते।
1. आरंभ में माता-पिता
2. जवानी में पत्नी
3. अंत में संतान **

** ब्रह्मांड में कोई भी रेखा परम सरल रेखा  ( absolute straight line ) नहीं है। अर्थात शून्य डिग्री का वक्र।  परम सरल रेखा भी नहीं खींचा जा सकता है।**

**  तम क्या है ?
जिसमें लम्बाई, चौड़ाई , मोटाई , समय , आवृत्ति या साइकिल शून्य या अनंत हो । यह नित्य , सर्व व्याप्त और अविनाशी है।
यह वैज्ञानिक हाईगन के ईथर सा है , लेकिन काल्पनिक नहीं है । इसका भौतिक रूप अंधकार , नीला , काला इत्यादि देखने में मिलता है। **

** आकाश कैसे बना है ?
आकाश का प्रथम तह तम है । दूसरा तह गुरुत्वाकर्षण और विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र से भरा है । इसके बाद और सब ( जैसे हवा , ध्वनि इत्यादि ) है। **

** सत्य प्रमाणित निम्न प्रकार से किया जाता है।
1. मानक पुस्तक
2. गणित
3. निरीक्षण और अवलोकन
4. प्रयोग
5. तर्क
6. साक्ष्य और गवाह **

** मेरे विचार में मन , आत्मा , प्राण , ब्रह्म, परमात्मा की परिभाषा निम्न हैं।

मन - पांच ज्ञानेंद्रियां नाक , कान, आंख , त्वचा एवं जीभ द्वारा निर्मित एक विशेष तरंग को मन कहते हैं।
मन = +/- दृश्य +/- घ्राण +/- स्पर्श +/- स्वाद +/- स्रवण
आत्मा - ईश्वर के अंश जो सबमें रहता उसे आत्मा कहते हैं।
परमात्मा - कुल आत्मा और ईश्वर के शेष भाग का योग को परमात्मा कहते हैं। इस प्रकार परमात्मा और ईश्वर एक ही हैं।
प्राण - संवेदना उत्पन्न करने वाला तत्त्व को प्राण कहते हैं।
ब्रह्म - ईश्वर का सक्रिय रूप को ब्रह्म कहते हैं।
            ब्रह्म + 0.0°1 = ईश्वर
                    0.00000.......1 = 0.0°1

उपरोक्त सब मेरा अपना सोच और विचार है। इस पर आप सब अपना विचार और प्रतिक्रिया से अवगत कराएं तो आभारी रहूंगा।

********** क्रमशः **********************
इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
रोआरी , प चंपारण , बिहार , भारत , पीन  845453
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