बुधवार, 1 जून 2022

विचार ( भाग 4 )

अनुसंधानशाला से विचार ( भाग 4 ) प्रस्तुत करते हुए इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद


कोटेशन
विचार ( भाग 4 )
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद

** किसी भी कार्य का प्राय: चार ही कारण है , नाम , यश ,धन और प्रभुत्व ।  इन्हीं चार के लिए आदि से आज तक और आगे भी भू के जन रत हैं। **


** धन काफी महत्वपूर्ण है । इसे अपने अधिकार में रखना उचित है। दूसरे के अधिकार में जाने पर कष्ट उठाना पड़ सकता है , चाहे अपना बेटा , पत्नी ही क्यों न हो। **


** मूर्खों के साथ विद्वता दिखना सबसे बड़ी मूर्खता है। उनके साथ मूर्ख बनकर रहना ही ठीक है।**


** ब्रह्मांड में अनेक तारें , ग्रह , नक्षत्र इत्यादि विद्यमान हैं । सवाल यह है कि क्या इन सबका प्रभाव मानव तन, मन, बुद्धि और विचार  इत्यादि पर पड़ता है ?
मेरे विचार में आकाशीय पिंड पृथ्वी पर दो तरह से प्रभाव डालते हैं ।
1. आकर्षण के रूप में ,
2. तथा दूसरा तरंग और किरणें उत्पन्न कर।
पृथ्वी पर कुल आकाशीय पिंडों  का आकर्षण
बल नियत रहता है । यदि नियत नहीं होता तो पृथ्वी का परिक्रमा कक्ष बदल जाता । अतः आकर्षण बल मानव मन विचार इत्यादि को प्रभावित नहीं करते।
सिर्फ आकाशीय प्रकाश , तरंग और किरणें प्रभाव डालता है। प्राचीन ऋषियों ने रत्नों का उपयोग इसी प्रभाव से बचने के लिए बताया है। **


** विचार , प्रकाश , ताप और ध्वनि में गहरा ‌संबंध है **


** प्रकाश , ध्वनि , स्वाद ,स्पर्श और गंध ये पांच मन का निर्माण करते हैं। **


**  हम जो बोलते हैं क्या यह आवाज वायुमंडल में रहता है ? अथवा आज से लाखों वर्ष पहले जो ध्वनि लोगों ने बोली है वह वायुमंडल में सुरक्षित है अथवा खत्म हो गई है?
मेरे विचार में सुरक्षित है । समय के साथ ध्वनि की तीव्रता ( intensity or loudness ) क्षीण होती गई है। अर्थात उनका आयाम ( amplitude ) घटता गया है। और वह इतना कम हो गया है जो लगभग  0.0° 1 हो गया है।
0.0000.........1 =  0.0°1 
दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि ध्वनि की तीव्रता समय का व्युत्क्रमानुपाति ( universally proportional ) होता है ।
अर्थात  तीव्रता = क × 1/ समय
या  समय = क × 1/ तीव्रता
और हम जानते हैं कि   तीव्रता  = (आयाम )^2
अतः समय = क × 1/ ( आयाम )^2
   
अर्थात समय ज्यादा होगा तो आयाम कम होगा और तीव्रता यानी लाउडनेस कम होगा।
यहां क को आयाम नियतांक कहते हैं। जिसका मान प्रयोग द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
यह विचार विगत आवाज के अनुसंधान में उपयोगी हो सकता है।
इसका उदाहरण नदी जल में ढेला फेंकने पर देखा जा सकता है। समय के साथ तरंग का आयाम ( amplitude ) क्षीण होता जाता है। **


** प्राकृत संख्या ( 1से 9 तक ) के पूर्व यानी पहले वास्तविक संख्या ( 0 ) अर्थ हीन है। लेकिन बाद में आकर अर्थ पूर्ण हो जाता और गणित का जन्म देता है। जैसे - 01 और 10 ।**


** कब कहां कैसे और किनका कौन सा हाव भाव किनको भा जाए , इसी को सौंदर्य और प्यार कहते हैं। **


** मूलत प्रकृति अपनी तीन आवस्था में परिवर्तन कर अपना नयापन अर्थात अपने यौवन को हमेशा कायम रखती है । और ए हैं - गर्मी , वर्षा और जाड़ा।
और ए तीनों अवस्था प्रकृति के तीन स्रोत पर प्रति क्षण आधारित हैं । और ए हैं - सूरज , बादल , हवा।
लगभग यही हालत मानव का भी है। मानव शरीर का नयापन ( सुंदरता ) भी तीन बातों पर निर्भर करता है। ये हैं - केश-सज्जा , परिधान, स्वच्छता और स्वास्थ्य , गुण ।
और ए तीन चार बातों पर निर्भर हैं । ए हैं - बुद्धि , विद्या , बल और धन। **


** जैसे पानी में दूध डालने पर पानी की गुणवत्ता और महत्ता बढ़ जाती है , परंतु दूध में पानी डालने पर दूध की गुणवत्ता और महत्ता कम होती है , वैसे ही सज्ञ जब अज्ञ का गुण ग्रहण करता है तो वह श्रीहीन बनता है और जब अज्ञ सज्ञ का गुण अपनाता है तो श्रीमान बनता है । **


** भगवान , शैतान एवं इंसान में फर्क यह होता है कि हैवान एवं शैतान सदा हिंसक होते हैं , और इसके विपरीत इंसान सदा अहिंसक तथा भगवान हैवान एवं शैतान के लिए सदा हिंसक तथा इंसान के लिए सदा अहिंसक होता है। **


**   घटना - बुद्धि = क
शर्त 1 - अगर क = 0  , तब घटना = बुद्धि
             अर्थात घटना का पूर्ण विश्लेषण होता है। इसका कोई भी अंश ज्ञान से परे नहीं है। और इसे विज्ञान कहते हैं।

शर्त 2-   यदि  क > 0 यानी धनात्मक
               तब  घटना > बुद्धि
          अर्थात घटना का पूर्ण विश्लेषण नहीं होता है , तथा इसका कुछ अंश ज्ञान से परे है। और इसे ही आश्चर्य , चमत्कार , रहस्य , जादू , असाधारण बातें इत्यादि कहते हैं।

शर्त 3 -  यदि  क < 0 यानी ऋणात्मक
               तब  घटना < बुद्धि
अर्थात घटना की व्याख्या कोई भी कर सकता है। यानी इसकी जानकारी आम है। रोजमर्रा की बातें वगैरह इसी के अंतर्गत आती है। जैसे - खाना ,सोना वगैरह-वगैरह।
ब्रह्मांड की सभी घटनाएं इन्हीं तीनों शर्तों के अंतर्गत आती है। **


** प्रत्येक व्यक्ति की एक नित्य प्राकृतिक आदत होती है । और दूसरी अनित्य आकस्मिक।**


*" दुष्ट की दुष्टता रोकने की एक ही रामबाण दवा है उसके साथ वैसा ही व्यवहार। यदि यह संभव नहीं तो उसका परित्याग। **


** समाज सोया रहता है , पर अपनी जुबान और कान खोले रहता है। यह आवाज व्यक्तिगत आवाज से भिन्न होती है । यह सत्य और निष्पक्ष आवाज होती। किसी चीज का सही विश्लेषण। **


** किसी भी समुदाय के कुशल प्रधान को निम्नलिखित चार चिंताएं रहती है -
1. आमद ( आय )   2. खर्च ( वर्तमान )। 3. लाभ 4. हानि
और उसके सदस्य को मात्र एक चिंता , और वह है खर्च की अर्थात् व्यय की। **


** मेरे विचार से मृत्यु  चार प्रकार से होती है।
1. परिपक्व स्वभाविक  -  सत्तर के बाद और रोग , दुर्घटना आदि रहित।
2. परिपक्व अस्वभाविक - सत्तर के बाद किंतु रोग या दुर्घटना आदि से ।
3. अपरिपक्व स्वभाविक - सत्तर से पहले किंतु रोग , दुर्घटना आदि रहित।
4. अपरिपक्व अस्वभाविक - सत्तर से पहले तथा रोग , दुर्घटना आदि से।
1 और 3 बढ़िया कहा जा सकता है। 2 और 4  दुर्भाग्य पूर्ण है। 4 तो सबसे शोकाकुल है। **


** अनुसंधान कार्य बाल से खाल निकालने जैसा है। दूसरे शब्दों में मक्खी के दूध से घी निकालने जैसा। **


** किसी भी कार्य का आरंभ संघर्षमय होता है , समाप्ति हर्षमय होती है और फल सुखमय होता है । **


** जीवन संघर्षमय , शादी हर्षमय और मौत शांतिमय होता है। **


** मकान के नक्शा बनाते समय इंजीनियर को तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए।  सूर्य प्रकाश , वर्षा और हवा ।
प्रथम यानी प्रकाश हर हालत में आवश्यक है। अतः व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि जब चाहे प्रकाश अंदर आने दें और जब चाहे रोक दें।
दूसरे के लिए मकान के अंदर कोई जगह नहीं है। यानी वर्षा से पूर्ण सुरक्षित हो।
तीसरा के लिए खिड़की आमने-सामने हो य़दि संभव नहीं तो साइड में तो अवश्य होना चाहिए।**


** मौत के सिवा पूर्ण शांति और कोई नहीं दे सकता है। पूर्ण शांति का नाम ही मौत है। **


** दिमाग से पढ़ने वाला कम समय तक पढ़ता है और रटकर पढ़ने वाला पूर्ण जीवन।**


** यदि लिखने का अविष्कार नहीं हुआ रहता तो मानव बहुत सा  विचारों और जानकारियों से अनभिज्ञ रहता । नहीं अपने विचारों को भविष्य के लिए सुरक्षित रख पाता वगैरह-वगैरह। **

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इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
रोआरी , प चंपारण , बिहार , भारत , पीन  845453
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Mobile  6201400759

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