चरित्र के धनी कवींद्र गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर |
कविता
शीर्षक - चरित्र
रचनाकार- इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
शक्ति और सौंदर्य क्या है ?
क्या है नियम और कानून ?
सभ्यता किस स्त्रोत से आई ?
आया ज्ञान कहां से बन ?
शांति किसकी दासी बनी है ?
विद्वता किसका है धन ?
राजनीति का मूल कहां है ?
सफलता का क्या साधन ?
कोमलता , गंभीरता आदि सब ,
बनी रही किनकी सहचरी ?
आत्मबल का सखा कौन है ?
दृढ़ता किनकी अनुचरी ?
कायरता किनकी है चेटी ?
निर्भयता किनकी है बेटी ?
किनका खेत धर्म निर्मित है ?
न्याय युक्त है किनकी खेती ?
इनका नाम तो लेने में
ह्रदय में होता है अनबन ,
अल्प ,लघु व चंद वर्ण की
चरित्रता का है वह तन ।
चरित्रवान का इस जगत में
मान-मर्यादा सब कुछ है ,
सफलता इनकी दासी है ,
ज्ञान इन्हीं का चक्षु है ।
किंतु यह सोचनीय बात है ,
चरित्र रहा न आज नर में ,
सफलता का जनक रहा जो ,
गिरा हुआ है घर-घर में ।
राजनीति का शोर विश्व में
आजकल है मचा हुआ ,
किंतु क्या यह तुच्छ जगत है
किसी कष्ट से बचा हुआ ?
राजनीति तो दिप्त अनल है ,
उसको क्या हम छू सकते ?
छूने को तो छू सकते ,
पर अपना हाथ जला सकते ।
राजनीति अपनाना है तो
चरित्र हिम का लो औजार ,
नौका रहित व्यक्ति कैसे
जा सकता है सागर के पार ?
आधुनिक मानव केवल
बल विक्रम को अपनाते हैं ,
मूल बिंदु है छिपा कहां
इसको वे जान न पाते हैं ?
परिणाम इसका होता है
दुख भुगतना पड़ता है ,
अनजाने में सर्प का काटा
मानव क्या नहीं मरता है ?
भारत को गुलाम होने में
क्या कारण था वह देखें ?
भारत को स्वतंत्र होने में
क्या कारण था यह पेखें ?
गांधी क्या थे और गोरांग सब ?
क्या था इनका मूलाधार ?
जितने देश आज उन्नत है,
क्या है उनका असल आधार ?
अतः ए निष्कर्ष निकलता ,
हमें चरित्र युक्त होना है ,
चरित्र खोकर क्या इस जगत में
अपने को नहीं खोना है ?
अनल बुझाने के हेतु
कुछ कण अंबु का आता है ,
आग लगाने के हेतु
लकड़ी को लाया जाता है ।
शांति की दंडी को क्षैतिज
चरित्र मात्र कर सकता है ,
राजनीति , कानून वगैरह
मंद यहां पड़ जाता है ।
अतः यदि हम चरित्रवान हो
राजनीति को अपनाएं ,
न्याय के संग कानून ,नियम को
निष्पक्ष बनके आजमाएं ।
दुनिया की समग्र कठिनता
निष्कंटक मार्ग बनाएगी ,
ठोकर देने पर भी शांति
दूर नहीं जा पाएगी ।
बिना चरित्र के राजनीति
कभी सफल नहीं हो पाएगी,
धागा बिन लंबी माला
पुष्पों से क्या बन जाएगी ?
अतः चरित्रता माता है
और सभी इसकी संतान ,
क्या ऐसा है कभी हुआ कि
बिन माता जन्मी संतान ?
************समाप्त****"*******
इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
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