अनुसंधानशाला से विचार भाग 13 प्रस्तुत करते इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद कोटेशन ** मन की गति ( Velocity of mind) ** विषम परिस्थितियों में भी संयम और धैर्य बनाए रखना योग्य पुरुष के लक्षण होते। और यही सफलता का रास्ता भी है। ** ** ईश्वर को पेट नहीं होता । इसलिए उसे भोजन की आवश्यकता नहीं होती है। प्रसाद तो भक्त गण अपने लिए चढ़ाते हैं। अगर ईश्वर खाने लगे तो कोई भी प्रसाद नहीं चढ़ाएगा। सभी उसे पेटु कहेंगे। ** जो सहायक दोस्त और दुश्मन दोनों में भी बैठे उस पर विश्वास करना धोखा खाना है। वह विश्वासनीय नहीं है। ** ** गुणा और जोड़ की लगातार क्रियाएं का अंत अनंत है। तथा घटाव और भाग का शून्य। शून्य आरंभ है और अनंत अंत। अतः घटाव और भाग आरंभ की ओर ले जाते जबकि जोड़ और गुणा अनंत की ओर। ** नाम, यश और धन ही नाम, यश और धन लाते और इन्हें पाने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता है। ** ** चारो तरफ विष्ठा हो और जाने का रास्ता नहीं तो मजबूरी में विष्ठा का रास्ता ही चुनना पड़ेगा। ** अगर संसार चोर हो जाए और एक साधु हो तो उसे क्या करना चाहिए ? ** मनुष्य को बिना कर्म नहीं बैठना चाहिए। कुछ न कुछ करते रहना चाहिए , रंग बदल कर, ढंग बदल कर, संग बदल कर। ** ** अगर लंबाई घटाई जाए और चौड़ाई बढ़ाई जाए तो एक समय ऐसा आएगा कि लंबाई और चौड़ाई बराबर हो जाएगी। विकास-विनाश और लाभ-हानि इत्यादि की भी यही स्थिति है। ** ** प्रारब्ध ईश्वरीय है और कर्म मानव निर्मित। कर्म अपने अंतर्गत आता , प्रारब्ध अधिकार से बाहर। अतः प्रारब्ध से अच्छा है कर्म पर विश्वास करना। ** ** खुशी दो तरह से होती। एक निर्धारित कार्य की समाप्ति पर तथा दूसरा सफल फल प्राप्ति पर। ** ** सांप हर जगह ( बिल से बाहर ) टेढ़ा चलता है, परंतु बिल में बिल के जैसा। यदि बिल सीधा हो तो उसे सीधा चलना पड़ेगा नहीं तो उसकी कमर टूट जाएगी। बिल सांप का रक्षक है और उससे ज्यादा शक्तिशाली। ** जब कोई अपना अस्तित्व खोता है तब ही वह दूसरा में बदलता है। ** ** जैसे जैसे सूक्ष्मता की ओर वस्तु बढ़ती जाती है अपना गुण खोती चली जाती है। जैसे सभी तत्व का इलेक्ट्रॉन एक ही गुण का होता है, इसमें पदार्थ का गुण नहीं होता है। ** पांच ज्ञानेंद्रियां मन बनाते हैं। और मन विचार बनाता है। इन पांचों में आंख सबसे प्रधान है। इसके बाद कान , स्पर्श , स्वाद और गंध है। ** ** मनुष्य का प्रभाव दो तरह से होता है। प्रथम रूप द्वारा तथा दूसरा गुण द्वारा। ** किसी देश में प्रत्येक व्यक्ति की आस्था और शक्ति का कुल योग वहां की सरकार का मापदंड है।** ** जैसे मल्लाह जाल से मछली छापता है वैसे ही ज्ञानी प्रकृति से ज्ञान पकड़ विचार बनाते हैं।** ** मनुष्य खुश होने पर हंसता है और दुखी होने पर रोता है। इन दोनों अवस्थाओं के बाद सामान्य होता है। ए दोनो अतरिक्त मनोभाव को बाहर कर सामान्य बनाते हैं जैसे डैम का स्पिल वे (spill way ) डैम से पानी बाहर निकल डैम को सामान्य बनाता है। ** ** भेष और परिवेश ही विशेष बनाता है। इसलिए मनुष्य को दोनों पर ध्यान देना चाहिए। ** ** तम भार में शून्य तथा आयतन में अनंत है। दूसरे शब्दों में इसका विस्तार अनंत और तौल शून्य है। देखने में अनंत और अनुभव करने में शून्य है।** ** पेट की सामग्री सस्ती होती है और मन की महंगी। पेट की सामग्री कुदाल देता और मन की कलम। ** ** सहयोग तीन तरह से किया जाता है , तन से , मन से और धन से। ** ** बच्चे खिलौने से खेलते और सयाने बच्चों से। अतः बच्चे सयानों के लिए खिलौना हैं जो मन को प्रसन्न करते हैं। ** ** कलह और दुख से हमेशा नाश होता है। तथा शांति और सुख से हमेशा विकास।** ** पानी का कोई रंग नहीं होता है। इसका रंग अदृश्य है। यह जिस पात्र में रहता है उसी के रंग के कारण दिखलाई पड़ता है।** ** प्याज के सभी परत निकाल देने पर जो बचता है वह शून्य है। जहां पर रूक जाएं वहीं प्याज का अस्तित्व है। अंतिम परत शून्य है, यहां उसका अस्तित्व नहीं रहता है। यह शून्य का सबसे बढ़िया उदाहरण है।** ** सभी पीला सोना नहीं होता है। पखाना भी पीला होता है।** ** अगर पखाना और मूत्र ही खाना पड़े तो सज्ञ और विज्ञ गाय के खाते हैं जैसे पंचगभ और पंचामृत।** ** जैसे कुम्हार का घड़ा शुरू में कच्चा रहता है, वह जरा सा झटका नहीं सह सकता है। और जिसे वह पीटकर, सुखाकर , रंग कर, तथा अंत में आग में जला कर पक्का बनाता है वैसे ही पिता अपनी संतान को विभिन्न अवस्थाओं और क्रियाओं से गुजार कर पक्का और योग्य बनाता है। ** ** प्रत्येक नाम अपने आप में एक छोटा इतिहास छुपाए हुए है।** ** सोचने में सबसे कम, देखने में उससे ज्यादा , सुनने और बोलने में उससे ज्यादा, और लिखने में सबसे ज्यादा समय लगता है। ** ** प्रकृति हमेशा अपना संतुलन बनाए रखती है। इसलिए वह जितना ऋणात्मक होगी उतना ही घनात्मक । दूसरे शब्दों में एक जगह अगर ऋणात्मक होगी तो दूसरे जगह घनात्मक तभी संतुलन में रहेगी। ************ क्रमशः ***************** इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद My blog URL ************* ***** ************* |
मैं इंजीनियर , रिसर्चर और लेखक हूं। मैं गांव रोआरी , जिला-पश्चिम चम्पारण ,बिहार ,भारत का निवासी हूं। मेरी रचनाएं जो रोचक कविता , काव्यानुवाद , गीत , व्यंग , लेख , कोटेशन इत्यादि भिन्न भिन्न विषयों पर है आप यहां पढ़कर उसका आनंद उठा सकते हैं। I am engineer , researcher and writer. I live at village Roari , via - Lauria, District- champaran, Bihar, India. Blog url -Pashupati57.blogspot.com , Contact-- Er. Pashupatinath prasad , E-mail- er.pashupati57@gmail.com , Mobile 6201400759
गुरुवार, 23 जून 2022
विचार ( भाग 13 )
सदस्यता लें
संदेश (Atom)