गुरुवार, 2 जून 2022

विचार ( भाग 5 )

अनुसंधानशाला से विचार भाग 5 प्रस्तुत करते इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद


कोटेशन
विचार ( भाग 5 )
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद


** मुहब्बत सिर्फ गुण देखती है अवगुण नहीं , तथा घृणा सिर्फ अवगुण देखती है गुण नहीं , सिर्फ मनुजता गुण और अवगुण दोनों देखकर चलती है। **


** राजनीति और कुटनीति में नीच से नीच सिद्धांतों से प्राप्त जीत ऊंच से ऊंच सिद्धांतों और आदर्शों से प्राप्त हार से श्रेष्ठ होती है। **


** कल्पना बड़ी ही मधुर एवं मनोरम होती है । यही कारण है कि बड़े चाव से लोग उपन्यास एवं कथा पढ़ते हैं । और सत्य रुखा एवं सूखा होता है । यही कारण है कि कुछ लोग ही गणित और विज्ञान में रुचि लेते हैं । **


** कोई भी नई आदत अपना बनाने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है । और अभ्यास 1 दिन का काम नहीं , यह दिनों महीनों में होता है।**


** मानव जीवन में तीन ही महत्वपूर्ण तिथियां होती है । 1. जन्मदिन  2. विवाह दिन  और 3. मृत्यु दिन प्रथम उत्तम है सभी के लिए अर्थात सभी खुश होते हैं । दूसरा मध्यम होता है अर्थात संतान गृहस्थ में प्रवेश करता है तो माता-पिता वानप्रस्थ में । और तीसरा सर्वोत्तम है अर्थात वह सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है । हालाकि  परिवार जन शोक में डूबे रहते हैं । **


** सूअर सफाई से वैर रखता है । और मूर्ख , दुष्ट व्यवस्था से । **


** अपना से अयोग्य के कर्मों से जो शिक्षा लेता है अथवा नकल करता है , उसका नाश निश्चित होता है । तथा अपना से योग्य के कर्मों की जो नकल करता है या अपनाता है उसका विकास भी कोई नहीं रोक सकता। **


** दुष्ट के साथ दुष्टता करने वाला दुष्ट नहीं कहलाता । दुष्ट वह कहलाता है जो सज्जन के साथ दुष्टता करता है ।**


** जो जितना उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है उसकी कीमत उतना ही ज्यादा है । **


** मूर्ख और दुष्ट दोनों ही दुश्मन  का ही काम करते हैं । फिर भी दुष्ट अच्छा होता है ,क्योंकि दुष्ट से आदमी हमेशा सावधान रहता है , तथा बचकर चलता है। किंतु मूर्ख से सावधान नहीं रहता जिससे उसके कर्मों से ज्यादा हानि होती है । **


** आदमी की पूर्ण परिभाषा उसके अंत:परिवेश तथा वाह्य परिवेश से दिया जाता है।
अंत:परिवेश कुभावना एवं सुभावना से बनता है। तथा वाह्य परिवेश कुकर्म एवं सुकर्म से बनता है। इन्हीं 4 मूलभूत तत्त्वों एवं सिद्धांतों के आधार पर प्रत्येक मानव का आकलन होता है । **


** अनंत त्रिज्या से बना गोला का गुण यह भी होता है कि कोई इस गोला पर जहां से चलता है अनंत काल के बाद पुनः वहीं लौटता है , चाहे दिशा कुछ भी हो । जैसे पृथ्वी पर एक बिंदु से और एक दिशा में गमन करता व्यक्ति पुनः उसी बिंदु पर लौटता है । **


** मैला का यह अवगुण यह है कि वह अपना पूरा जीवन बदबू फैलाने में ही बिताता है । जब अपना नाश पाता है यानी  सड़ता है तब वह खाद बन उपयोगी बनता है ।
ठीक यही हालत मूर्ख और  दुष्ट का है । पूरा जीवन उडंता अव्यवस्था फैलाता है । जब अपना नाश कर लेता है तब विनम्रता तथा उचित समझता है । **


**  ताला लगाने के पीछे छिपा मनोविज्ञान एवं सिद्धांत यह है कि यह न तो चोर से रक्षा कर सकता है और ना डाकू से बचाव , बल्कि साधु चोर डाकू न बन जाए अर्थात अपना ईमान न खो दें इसके लिए है । **


** जैसे एक जीव दूसरे जीव का जन्म देता है , वैसा ही एक विचार दूसरे विचार का ।**


** अगर कोई छात्र परीक्षा में 0 अंक पाता है तो इससे मतलब निकलता है कि वह या तो सबसे बड़ा मूर्ख है या असाधारण । अगर वह असाधारण है तो परीक्षक शून्य है । अगर वह शून्य है तो परीक्षक असाधारण है। **


** अगर किसी की उत्तर पुस्तिका पर परीक्षक यह लिखता है कि परीक्षार्थी परीक्षक से योग्य एवं बेहतर है तो उससे योग्य शिक्षक या परीक्षक मेरे नजर में दूसरा कोई नहीं है । वह असाधारण परीक्षक है । **


** आजकल पैसा से बड़ा सहायक और मित्र दूसरा कोई नहीं। **


** जिस प्रकार त्रुटि पूर्ण अंग तीन तरह से - दवा से , चीरकर तथा अंत में अंग काटकर ठीक किया जाता है , उसी प्रकार त्रुटि युक्त मानव भी तीन प्रकार से  , प्रथम बात से  , दूजा लात से यानी पीटकर  और अन्तत: मौत से सुधार पाते हैं । **


** जहां रक्षक एवं भक्षक में एकता हो उस परिवेश जगह का त्याग ही कल्याण कारक एवं मंगलमय होता है **


** न जिसका अंत हो , न मध्य हो और न आदि हो ऐसी स्थिति मात्र बंद वक्र में पाई जाती है ।**


*" जैसे महिलाएं अपने प्रिय जनों की मौत पर भावुक हो जाती है , वैसा ही नेता गण चुनाव आने पर ।
जो नारी अपने प्रियजनों की सेवा जिंदा रहने पर नहीं करती , नित्य गाली से स्वागत करती है , वह भी मौत के बाद उसका गुणगान करते  नहीं थकती।
ठीक यही हालत नेताओं की है । जो नेता अपने क्षेत्र में कभी नहीं घूमता। जिसे क्षेत्र की गर्मी की लू लग जाती है । वही चुनाव के समय हाथ जोड़े , धूल गर्द से लीपा पुता ,  विनय की मूर्ति बने  ऐसा घूमता है जैसे स्वर्ग का आनंद ले रहा हो ।**


** प्रकाशन का स्तंभ है - प्रकाशक , प्रेस और वितरक । **


** कितना ज्यादा समय तक करते हो यह खूबी नहीं है । क्या करते हो यानी कार्य की गुणवत्ता और समाप्ति यह खूबी है । **


** भ्रम युक्त और संदेह युक्त मन कभी सफल नहीं होता। हमेशा असफल होता है । सिर्फ शुद्ध मन अर्थात संदेह रहित मन ही सफलता प्राप्त करता है।**


** वैज्ञानिक विचार 24 कैरेट सोना सा परिशुद्ध होता है । दार्शनिक विचार और ऐतिहासिक विचार 23 कैरेट सोना सा , साहित्यिक विचार 18 से 20 कैरेट सोना सा तथा अन्य सभी विचार 12 से 18 कैरेट सोना का शुद्ध होता है । तथा जो विचार जीरो से 12 कैरेट सोना सा होता है वह पानी के बुलबुलों सा क्षणभंगुर होता है अर्थात प्रति क्षण जन्मता और मिटता रहता है । **


** अनुसंधान के लिए तीन महत्वपूर्ण बातों का होना आवश्यक है ।
1. हम क्या करना चाहते हैं ?
2. इस संबंध में अभी तक क्या-क्या हुआ है इस संबंधी जानकारी इकट्ठा करना ।
तथा 3. किस तरह से इसे पूरा किया जाए इस पर सोचना विचारना और इसकी पूर्ति हेतु सामग्री इकट्ठा करना । **


** कर्म का मूल्य है सफलता , और सफलता का मूल्य है पैसा , तथा कर्म चक्र की गतिशीलता इसी आकर्षण के हेतु है । यह जितना प्रबल होगा कर्म चक्र उतना ही गतिशील । **


** किसी निश्चित क्रिया को निश्चित समय में पूरा करना ही साधना है अर्थात क्रिया और समय से संबंध ।
साधक नित्य अभ्यास द्वारा इसे पूरा करता है जब यह क्रिया निर्विघ्न साधक द्वारा निर्धारित समय अनुसार पूर्ण होती है तो उस कार्य को सिद्ध होना कहा जाता है । यह सिद्धांत प्रत्येक कार्य एवं समय संबंध पर लागू है । **


** किसी कार्य की पूर्ति का मानक समय कितना होना चाहिए ?
विश्व में लघुत्तम समय में जो उस कार्य को सफलता पूर्वक और गुणवत्ता के साथ पूरा किया हो उस कार्य के लिए मानक समय है। **


** मन की दृढ़ता तन का बल है । साहसइ इसकासुपुत्र , धैर्य इसका जनक , सफलता इसकी बेटी , शंका  , भय , शोक , आलस इत्यादि इसका वफादार गुलाम और चारण । खुशी , प्रसन्नता इसकी पत्नी और वैभव , समृद्धि इसकी मां। **


** आलोचना एक पक्षीय , समालोचना द्विपक्षीय और मौन सर्वपक्षीय होता है। **


*************** क्रमशः ***************

इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
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