अनुसंधानशाला से विचार भाग 11 प्रस्तुत करते इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद |
कोटेशन
विचार ( भाग 11 )
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
** मूर्ख का यह गुण होता है कि अपनी प्रगति के लिए सदा शून्य से गुणा करता है और अनंत से विभाजित । नतीजा शून्य का शून्य। ** व्यक्ति की अमरता में नाम , यश और धन का योगदान अहम होता है । ** ** अगर मन कर्म करना न चाहे , काम से मन जी चुराए , यह भी न समझ आए कि क्या करें या न करें , तो ऐसे समय में सभी कार्यों की एक सूची बना लें और जो सबसे आसान और रूचिकर कार्य हो उसे पहले शुरू करें । इसी तरह और कार्यों को करते जाएं। जो सबसे कठीन है उसे सबसे बाद में। ** अविद्या विद्या के मार्ग में सदा रुकावट पैदा करती है। यह डरती है तो सिर्फ दो से - ** विकास - इसमें पहले नाम , तब धन और अंत में यश मिलता है। ** पूर्व संस्कार , वर्तमान संस्कार और परिवेश मन और चरित्र का निर्माण करते हैं। ** ** अगर प्रकाश स्रोत पृथ्वी से बाहर अर्थात सूर्य , तारा इत्यादि पर लिया जाए तो इससे पृथ्वी पर बनी छाया अनित्य ( variable ) होती है। ** किसी एक समान गति से गमन करता हुआ पिंड A पर स्थित गति करता हुआ पिंड B की गति पर पिंड A की गति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ** दो देशों के युद्ध में दोनों का संविधान कठोर रूप से सक्रिय हो जाता है , लेकिन गृह युद्ध की स्थिति में उल्टी होती , क्योंकि गृह युद्ध संविधान की शिथिलता के कारण ही होता है। ** ** राजद्रोह - जो व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए लड़ा जाए। ** समाज की रचना और संचालन समझौता के सिद्धांत के कारण है। ** ** वह कर्म बढ़िया और अच्छा कर्म कहलाता जो दूसरे कर्म में सहयोग दे और सफल बनाए। जो असहयोग करे और असफल बनाए वह घटिया कर्म है। ** ** एक ही कर्म एक के लिए बढ़िया तो दूसरे के लिए घटिया हो सकता है। एक समय में बढ़िया तो दूसरे समय में घटिया हो सकता है वगैरह। ** ** कोई भी व्यक्ति किसी की मृत्यु का कारण हो सकता है कर्त्ता नहीं। लेकिन अपनी मृत्यु और जीवन का कर्त्ता हो सकता है। ** ** आचार्य भास्कर के अनुसार शून्य को शून्य से विभाजित करने पर परिणाम अनंत होता है। ** ** चाहें किसी विधि से मिली सफलता सुखदाई होती , जबकि असफलता दुखदाई। ** ** धन का आगमन असंतोष पैदा करता है । और धन का गमन संतोष करने पर बाध्य करता है । ए धन का नित्य गुण हैं। ** ** सज्ञ - किसी चीज का पूर्ण ज्ञान ** जीत के लिए निम्न शक्तियों की आवश्यकता होती है - ** ब्रह्मांड में कोई ऐसा चीज नहीं जो बिना छिद्र ( void ) का हो। प्रकाश में भी छिद्र है । एक ही चीज जिसमें छिद्र नहीं है वह है तम । यानी शून्य छिद्र ( zero void ) । ** ** जब मनुष्य शरीर धारण कर लेता है तो बिना कर्म नहीं रह सकता है। प्रत्येक शरीरधारी जीव को कर्म करना ही पड़ता , चाहे वह सुकर्म हो अथवा कुकर्म। सभी कर्म का दो ही लक्ष्य है। मन की तृप्ति या पेट की तृप्ति। ** मूर्ख और दुर्जन का तीन अनियंत्रित होता है । ** यदि कोई बिंदु किसी बिंदु के सापेक्ष स्थान न बदले तो उसे स्थिर बिंदु कहते हैं। ** भय का कारण भ्रम है । भय का निदान ज्ञान , बुद्धि , तर्क तथा अध्ययन है। ** ** अर्थव्यवस्था तीन प यानी प्रकृति , परिवेश और परिवर्तन पर निर्भर है। ** ** पागल कोई समाजिक कार्य नहीं कर सकता है। यदि कोई समाजिक कार्य करता है तो वह पागल नहीं है। ** अगर किसी देश में वहां की प्रजा 100 रुपए की लागत से 1000 रुपए की उत्पादन करती है। तथा 5000 रुपए लगाकर 4000 रुपए की । ** जब अच्छा और बुरा में फर्क नही पता चले तो या तो वह ईश्वरत्व की ओर झुक रहा या पागलपन की ओर। ** ** महात्वाकांक्षा अच्छी बात है। बिना इसके कोई सफल नहीं हो सकता , परंतु अति महत्वाकांक्षा विनाशकारी है। सफलता की जगह विनाश दायक है। ** ************ क्रमशः ****************** इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद My blog URL ******** ***** ********** |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें