सोमवार, 20 जून 2022

विचार ( भाग 11 )

अनुसंधानशाला से विचार भाग 11 प्रस्तुत करते इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद

कोटेशन
विचार ( भाग 11 )
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद

** मूर्ख का यह गुण होता है कि अपनी प्रगति के लिए सदा शून्य से गुणा करता है और अनंत से विभाजित । नतीजा शून्य का शून्य।
और दुष्ट इससे चतुर होता । वह शून्य जोड़ता रहता है । नतीजा जैसा का तैसा रहता है।
लेकिन सज्ञ और विज्ञ शून्य तथा अनंत की क्रिया से पूर्ण वाफिक होते । इसलिए  वे समयानुसार शून्य से भाग और अनंत से गुणा कर अपना विकास करते रहते हैं। **


** व्यक्ति की अमरता में नाम , यश और धन का योगदान अहम होता है । **


** अगर मन कर्म करना न चाहे , काम से मन जी चुराए , यह भी न समझ आए कि क्या करें या न करें , तो  ऐसे समय में सभी कार्यों की एक सूची बना लें और जो सबसे आसान और रूचिकर कार्य हो उसे पहले शुरू करें । इसी तरह और कार्यों को करते जाएं। जो सबसे कठीन है उसे सबसे बाद में।
अगर यह भी न हो पाए और मन अशांत रहे तो उस जगह को कुछ समय के लिए छोड़ देना ठीक रहता है। **


** अविद्या विद्या के मार्ग में सदा रुकावट पैदा करती है। यह डरती है तो सिर्फ दो से -
1. धन , क्योंकि यह निर्धन होती है तथा धन के प्रति अतीव आकर्षण रखती है।
2. राजदंड , क्योंकि राजदंड इसको रोकने के लिए ही विद्या की देन है। **


** विकास - इसमें पहले नाम , तब धन और अंत में यश मिलता है।
विनाश - पहले धन जाता , तब नाम और अंत में यश । **


** पूर्व संस्कार , वर्तमान संस्कार और परिवेश मन और चरित्र का निर्माण करते हैं। **


** अगर प्रकाश स्रोत पृथ्वी से बाहर अर्थात सूर्य , तारा इत्यादि पर लिया जाए तो इससे पृथ्वी पर बनी छाया अनित्य ( variable ) होती है।
अगर प्रकाश स्रोत पृथ्वी पर लिया जाए जैसे लालटेन इत्यादि तो इससे बनी छाया नित्य ( constant ) होती है।
इसी कारण माइचेलसन और मोरले प्रयोग में drift नहीं मिलता है। क्योंकि स्रोत पृथ्वी पर है ।**


** किसी एक समान गति से गमन करता हुआ पिंड A पर  स्थित गति करता हुआ पिंड B की गति पर पिंड A की गति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
लेकिन ज्योंहि इससे संपर्क छूटता है उसकी गति पर प्रभाव पड़ जाता है।
जैसे - रेल में सवार व्यक्ति अपने ही गति से अंदर घूमता है। लेकिन अगर बाहर कूदे तो गाड़ी की गति प्रभाव डाल देगी। 
( माइचेलसन और मोरले प्रयोग में इसी कारण प्रकाश की गति पर पृथ्वी की गति का प्रभाव नहीं पड़ता है , क्योंकि प्रकाश स्रोत पृथ्वी पर है । जिससे drift नहीं मिलता है। )**


** दो देशों के युद्ध में दोनों का संविधान कठोर रूप से सक्रिय हो जाता है , लेकिन गृह युद्ध की स्थिति में उल्टी होती , क्योंकि गृह युद्ध संविधान की शिथिलता के कारण ही होता है। **


** राजद्रोह - जो व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए लड़ा जाए।
गृह युद्ध -  जो जन कल्याण के लिए लड़ा जाए और जिसमें आम जनता भाग ले। **


** समाज की रचना और संचालन समझौता के सिद्धांत के कारण है। **


** वह कर्म बढ़िया और अच्छा कर्म कहलाता जो दूसरे कर्म में सहयोग दे और सफल बनाए। जो असहयोग करे और असफल बनाए वह घटिया कर्म है। **


** एक ही कर्म एक के लिए बढ़िया तो दूसरे के लिए घटिया हो सकता है। एक समय में बढ़िया तो दूसरे समय में घटिया हो सकता है वगैरह। **


** कोई भी व्यक्ति किसी की मृत्यु का कारण हो सकता है कर्त्ता नहीं। लेकिन अपनी मृत्यु और जीवन का कर्त्ता हो सकता है। **


** आचार्य भास्कर के अनुसार शून्य को शून्य से विभाजित करने पर परिणाम अनंत होता है। **


** चाहें किसी विधि से मिली सफलता सुखदाई होती , जबकि असफलता दुखदाई। **


** धन का आगमन असंतोष पैदा करता है । और धन का गमन संतोष करने पर बाध्य करता है । ए धन का नित्य गुण हैं। **


** सज्ञ - किसी चीज का पूर्ण ज्ञान
विज्ञ - जो सिद्धांत प्रतिपादित करे। जैसे - पाणिनि , कर्णाद , न्यूटन वगैरह।
शिक्षक - ज्ञान के साथ बताने का ढंग सरल और बोधगम्य। **


** जीत के लिए निम्न शक्तियों की आवश्यकता होती है -
1. आध्यात्मिक ( आत्मिक ) शक्ति
2. बौद्धिक /तार्किक शक्ति
3. कुटनीति/राजनीति
4. सैन्य शक्ति
5. धन वगैरह **


** ब्रह्मांड में कोई ऐसा चीज नहीं जो बिना छिद्र  ( void ) का हो। प्रकाश में भी छिद्र है । एक ही चीज जिसमें छिद्र नहीं है वह है तम । यानी शून्य छिद्र ( zero void ) । **


** जब मनुष्य शरीर धारण कर लेता है तो बिना कर्म नहीं रह सकता है। प्रत्येक शरीरधारी जीव को कर्म करना ही पड़ता , चाहे वह सुकर्म हो अथवा कुकर्म। सभी कर्म का दो ही लक्ष्य है। मन की तृप्ति या पेट की तृप्ति।
ए दोनो लक्ष्य सुकर्म से भी पूरा होते और कुकर्म से भी। लेकिन सुकर्म लक्ष्य पूर्ति के साथ नाम और यश भी देता , लेकिन कुकर्म अपयस ।
कुकर्म का प्रारंभ सुगम , आकर्षक और लुभावन होता है , लेकिन अंत कष्टकर । सुकर्म का आरंभ अरुचिकर होता , लेकिन अंत सुखमय ।
मूर्ख , दुष्ट प्रायः कुकर्म अपनाते , और सज्ञ , विज्ञ सुकर्म । **



** मूर्ख और दुर्जन का तीन अनियंत्रित होता है ।
प्रथम मुंह , दूजा जीभ , तीसरा हाथ । यदि इन तीनों पर वे नियंत्रण कर लें तो सज्ञ बन जाएंगे। **



** यदि कोई बिंदु किसी बिंदु के सापेक्ष स्थान न बदले तो उसे स्थिर बिंदु कहते हैं।
परंतु परम स्थिर बिंदु ( Absolute fixed point ) शून्य ( zero ) या अनंत ( infinite ) की गति से अपना स्थान परिवर्तन करता है। इस कारण छोटा से छोटा दूरी तय करने के लिए अनंत समय या बड़ा से बड़ा दूरी तय करने के लिए शून्य समय लेता इस कारण वह वहां के वहां ही रहता।
अवलोकन से तम में यह स्थिति देखने को मिलती है। क्योंकि ज्योंहि प्रकाश रोका जाता तम वहां तुरंत प्रकट हो जाता है।
अतः तम परम स्थिर बिंदु का एक स्पष्ट उदाहरण है। **


** भय का कारण भ्रम है । भय का निदान ज्ञान , बुद्धि , तर्क तथा अध्ययन है। **


** अर्थव्यवस्था तीन प यानी प्रकृति , परिवेश और परिवर्तन पर निर्भर है। **


** पागल कोई समाजिक कार्य नहीं कर सकता है। यदि कोई समाजिक कार्य करता है तो वह पागल नहीं है।
अगर किसी में पागलपन का लक्षण दिखाई पड़े तो उसे उसके रुचि अनुसार समाजिक कार्यों में व्यस्त करना चाहिए। धार्मिक कार्य ( किसी भी धर्म का ) भी एक समाजिक कार्य ही है और सरल भी है।
पागलपन दूर करने का यह सरल देसी उपाय है।**



** अगर किसी देश में वहां की प्रजा 100 रुपए की लागत से 1000 रुपए की उत्पादन करती है। तथा 5000 रुपए लगाकर 4000 रुपए की ।
तो अर्थशास्त्र अनुसार बाद वाला उत्पादन देशहित में है और पहले वाला व्यक्तिगत हित में।**


** जब अच्छा और बुरा में फर्क नही पता चले तो या तो वह ईश्वरत्व की ओर झुक रहा या पागलपन की ओर। **


** महात्वाकांक्षा अच्छी बात है। बिना इसके कोई सफल नहीं हो सकता , परंतु अति महत्वाकांक्षा विनाशकारी है। सफलता की जगह विनाश दायक है। **


************ क्रमशः ******************

इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
रोआरी , प चंपारण , बिहार , भारत , पीन  845453
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