अनुसंधानशाला से विचार भाग 3 प्रस्तुत करते इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद |
कोटेशन
विचार ( भाग ३ )
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
** संसार की सभी भाषा और बोली समान ध्वनियों के हेर फेर से निर्मित है जिसे भाषा तुल्यांक कहते हैं । जैसे - अंग्रेजी शब्द का पेन , हिंदी का शब्द सापेक्ष और उर्दू का पेशाब वगैरह में " पे " ध्वनि भाषा तुल्यांक है।**
** बल ,विद्या एवं बुद्धि प्रदान करते हैं नाम ,यश एवं धन । तथा नाम , यश और धन प्रदान करते हैं सुख ,समृद्धि तथा प्रभुत्व । **
** साहित्य - सत्य या असत्य कल्पना पर आधारित गल्प या आलेख है ।
विज्ञान - प्रयोग द्वारा सत्य पाया गया प्रमाणित सिद्धांत है ।
तथा इतिहास - प्रमाण पर आश्रित विगत सत्य घटनाएं है। **
** जलन या खुशी अपने लोगों से या अपने पहचान वालों से होती है , मार्ग का विकास या विनाश अपने ही लोग करते हैं , क्योंकि जीवन का अधिक समय इनके ही साथ बितता है , अपरिचित के संग मात्र कुछ ही क्षण व्यतीत होता है ।
अतः इनसे विकास- विनाश का ज्यादा लेना देना नहीं होता । **
** जैसे तोता डाली पर लटके आम पर ठोकर मारता है और उसमें से कुछ ठोकर मारते ही गिर जाते हैं , कुछ कच्चे निकलते हैं , कुछ पके होने पर भी खट्टे निकलते हैं , तथा कुछ पके मधुर एवं सरस गोपी फल निकलते हैं , जिससे वह संतुष्ट एवं तृप्त होता है ।
जीवन का क्रम ऐसा ही है । सफल व्यक्ति मधुर सरस गोपी अवसर की तलाश करता है , सफल होकर तृप्त होता है ।
दुष्ट जल्दबाज़ होता है , कलह में अपना समय ज्यादा देता है , उसे कच्चे-पक्के और मधुर स्वाद में फर्क करने का समयाभाव है , अतः अरूचि ही उसकी रूचि है । **
** जैसे 32 दांतो के बीच जीभ है ,वैसे ही विपुल सफलता को प्राप्त करने वाला व्यक्ति दुष्टों के बीच घिरा रहता है । जैसे जरा सा असावधान होने पर दांत जीभ को काटकर तकलीफ देता है , वैसा ही वह व्यक्ति जरा भी असावधान हुआ कि दुष्ट उसकी एकाग्रता भंग कर उसे दुष्टता की तरफ धकेलने लगते हैं ।
यदि व्यक्ति में आत्म बल , दृढ़ता एवं निर्भयता की कमी है तो उसकी एकाग्रता खत्म होती है और वह नाश को पाता है । यदि इन तीनों की प्रचुरता हो तो लक्ष्य को ।
ये जन जान पहचान वाले ही होते हैं ,गैर नहीं , क्योंकि गैरों की दुष्टता क्षणिक होती है , जबकि अपनों की स्थाई । **
** अगर जीवन का हर पल सदुपयोग किया जाए और सभी पल का कर्म सफल हो , उसमें विघ्न नहीं पड़े तो शायद करने का कुछ भी नहीं रह जाएगा ।
जीवन का 10% पल एकाग्र भाव से काम करने में तथा 90% विघ्न बाधाओं से लड़ने में खर्च होता है। **
** जैसे दुख का उपचार दवा और परहेज है , वैसा ही गलत हिज्जे का उपचार लिखना तथा ध्यान से पढ़ना है । एवं उच्चारण का उपचार बोलकर पढ़़ना तथा ध्यान से सुनना है । तथा याद का उपचार एक ही चीज को बार बार ध्यान देना एवं दुहराना है , कम से कम 3 बार । **
** पागलपन और कुछ नहीं बल्कि उत्कट इच्छा और महत्वाकांक्षा की पूर्ति नहीं होना है । जिसमें सामाजिक व्यंग उत्प्रेरक का काम करता है । तथा इसका इलाज समाजिक प्यार और सद्व्यवहार है। इसमें भी परिवारिक प्यार और सद्व्यवहार तो अमृत के सदृश है ।**
**दैनिक कार्यों से उसी दिन निपट लेना ही मानसिक शांति है । वैसे तो दैनिक कार्य अनेक हैं परंतु नित्यकर्म अर्थात सुबह का कार्य जैसे - हाथ- मुंह धोना , पखाना जाना तथा विशेषकर स्नान यदि ब्रह्म मुहूर्त में या सूर्योदय के पहले पूरा कर लिया जाए तो दैनिक कार्यों में 50% कार्यों का निपटारा हो जाता है । और सब कार्यों के लिए काफी समय मिल जाता है । **
** मानसिक तनाव का कारण क्रोध है , और क्रोध मन की शांति भंग होने से उठता है , तथा इसका इलाज इन कारणों को हटना है जिससे मन की शांति भंग होती है । **
** प्रकाश की तीव्रता एवं रंग , आवाज , गंध , स्वाद एवं स्पर्श इत्यादि के अनुसार मन एवं मस्तिष्क की तरंगे बनती और बदलती है । **
** जैसे तीसरे बिंदु की प्रामाणिकता के लिए कम से कम 2 परिचित बिंदुओं की आवश्यकता होती है । उसी प्रकार जीवन या ब्रह्मांड की किसी भी समस्या का हल किया जा सकता है यदि दो महत्वपूर्ण बातें आस्था और आत्मा या परमात्मा को समझ लिया जाए। **
** सबका कुछ न कुछ तकिया कलाम होता है, भारतीय नेताओं का तकिया कलाम है देश का विकास , जनता का विकास , जन कल्याण ,भले ही वह करें या ना करें । **
** जैसे सावन की हवा बादलों को विभिन्न रूपों में बनाती और बिगड़ती है , वैसे ही मन में अनेकों विचार बनते और पुनः बिगड़ते हैं ।**
** विस्तृत प्रकृति में अनेकों क्रियाएं पल प्रतिपल होती रहती है , कई ऐसे विचित्र कार्य कलाप
भी होते रहते हैं , इन्हीं कार्य कलापों का रहस्य अनावरण करना विज्ञों का काम रहा है जिसे ऋषि , रिसर्चर या वैज्ञानिक कहते हैं । **
** समय के प्रत्येक अंश के साथ प्रकृति अपने आप में परिवर्तन करती रहती है , हमें यह परिवर्तन तब मालूम होता है जब कुछ खास घटित होती है ।**
** प्रकृति की जिस घटना को मानव विश्लेषण नहीं कर सकता या समझ नहीं पाता , उसे ही रहस्य कहते हैं ।*"
** प्रकृति मानव के लिए हमेशा रहस्य तथा चुनौती रही है , तथा इससे सामना करना मानव का काम रहा है । **
** जिसने अपने तर्क और बुद्धि से प्रकृति के रहस्यों को सुलझाया है उसे विज्ञ और वैज्ञानिक कहते हैं । **
** प्राचीन राजाओं की विरुदावली और गुणगान गाने के लिए कुछ चारण होते थे , आजकल यह काम आकाशवाणी और दूरदर्शन बखूबी निभा रहे हैं । **
** कहीं पढ़ा था पहले के संपादक अपना सब कुछ गंवा कर अपने सम्मान की रक्षा के करते थे , आजकल अपना सम्मान बेचकर सब कुछ प्राप्त करते हैं । **
** पहले नेता होते थे डंडा खाने के लिए और आजकल के होते हैं डंडा बरसाने के लिए । **
** पहले के नेता आग झेलते थे और आज कल के आग लगाते हैं । **
** पहले के चोर डाकू सूरज उगने पर छिप जाते थे , और आजकल सीना ताने घूमते रहते हैं । **
** कहावत है -अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ता , लेकिन अकेला भाड़ बहुत से चने को फोड़ डालता है । **
** पहले के चोर और डाकू में इतनी नैतिकता थी कि खुद को गलत समझते थे , किंतु आज इसे अपना सर्वोपरि गुण समझते हैं । **
** कच्चा खरबूजा से कच्चा खरबुजा रंग नहीं बदलता , लेकिन एक पका खरबूजा बहुत कच्चे को रंग डालता है । **
** घी नीम की कड़वाहट को मिटा नहीं सकता , लेकिन कम तो कर ही सकता है । **
** जोश का उद्गम बिंदु दिल है , और होश का दिमाग , जहां दोनों ही हो वहां क्या पूछना । **
** दिल से काम करने वाला हमेशा असफल होता है , और दिमाग से काम करने वाला असफल होकर भी हाथ नहीं मलता , बल्कि सफलता का नया आयाम जुटा ही लेता है । **
** जोश में होश खोना श्रेयकर नहीं , बल्कि जोश में होश रखना सर्वोत्तम है । **
** आशाएं लॉटरी है । पूरी भी हो सकती है और नहीं भी । केवल इसी पर निर्भर रहना सही नहीं है । **
**लोग पुलिस से इसलिए दूर भागते हैं , क्योंकि वह कुछ देती नहीं , बल्कि लेती है । यह लेना आर्थिक , मानसिक और सामाजिक शोषण के रूप में हो सकता है । और प्रत्येक आदमी अपने सम्मान की रक्षा चाहता है । **
** औरत और पुरुष में भेद यह है कि प्रथम का मस्तिष्क दूसरे के मस्तिष्क से ज्यादा संवेदनशील होता है । **
** थकावट दो प्रकार की होती है ।
1.मानसिक थकावट - यह काम आरंभ से पहले और काम का ढेर को देखकर ।
2. दूसरा शारीरिक थकावट - यह काम की समाप्ति पर या अधिक काम करने से ।
प्रथम शारीरिक परिश्रम से दूर होता है , जबकि दूसरा आराम से । **
** भ्रम मोह उपजाता है , मोह संवेदना और संवेदना आंसू । तथा इन सब पर जो विजय पाए वही कर्मवीर है। **
** पति पत्नी का रिश्ता बड़े ही नाजुक डोर से बंधा होता है , जिसे विश्वास करते हैं । यदि इसमें दरार पड़ गई तो पुनः नहीं जुटती । **
** धैर्य के साथ समय का इंतजार राजनीति कूटनीति एवं सफलता का पहला मंत्र है । **
** विषम परिस्थिति में संयम न खोना सफलता का लक्षण है । **
** एक को मिलाना और दूसरे को लड़ाना , राजनीति और कूटनीति का मूल है । **
** चाहे जैसे हो जनता को विश्वास में लेकर चलना ही राजनीति तथा कूटनीति का मूल आधार है ।**
** जब जैसा तब तैसा राजनीति और कूटनीति का सार है । **
**************क्रमश:***************
इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
रोआरी , प चंपारण , बिहार , भारत , पीन 845453
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