अनुसंधानशाला से विचार भाग 12 प्रस्तुत करते इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद |
कोटेशन
विचार ( भाग 12 )
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
** समझना से समझाना कठिन होता है। ** ** साहित्य का महत्व दो तरह से आंका जाता है। ** अनुश्वार (• ) और चंद्र बिंदु की उत्पत्ति संभवत: चांद और तारा देखकर हुयी है। ** ** अधिकांश कार्य दो प्रकार से पूरे किए जाते हैं - ** जाति नाम , धर्म और भेष बदलकर बदली जा सकती है। ** ** समाज ईश्वर का एक ब्रांच औफिस है। और व्यक्ति इसका एजेंट। ** ** कलम का काम देखने में बहुत आसान , पर करने में भीषण कठिन है। जबकि कुदाल का काम देखने में भीषण कठिन , पर करने में आसान है। ** ** विकास और विनाश समय पर सीधे निर्भर करता है। ** ** नवीनता के लिए परिवर्तन आवश्यक है । और परिवर्तन के लिए नवीनता आवश्यक है। ** ** सफलता के लिए अपने सामर्थ्य अनुसार लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी है। और निर्धारित समय में उसे पूरा करना भी जरूरी है। ** ** जो शिकारी जिस तीर से शेर मारने की तमन्ना रखता है उससे गीदड़ भी नहीं मरे तो या तो शिकारी अनाड़ी है या गीदड़ चमत्कारी। ** ** किसी तथ्य की सत्यता निम्न प्रकार से की जाती है। ** मानव संसार मुख्यत: तीन कर्मों में ही रत है। ** कोई जिधर घृणा करता उधर पीठ और जिधर भय देखता उधर मुंह रखता है। इसी प्रकार सोने में जिधर निर्भयता है उधर सिर और जिधर भय है उधर पैर रखता है। ** भारत में अराजकता के अनेक कारणों में से एक कारण यह है कि आजादी के बाद ग्रामीण प्रशासन जो पंचों द्वारा संचालित होता था धीरे धीरे शून्य होता गया। ** प्रकाश ( चेतन ) और अंधकार ( जड़ ) इन दो से ब्रह्मांड निर्मित है। इन दोनों का मूल तम है। ** ** मानव के पूरे जीवन में तीन ही साथी और संरक्षण बनते। ** ब्रह्मांड में कोई भी रेखा परम सरल रेखा ( absolute straight line ) नहीं है। अर्थात शून्य डिग्री का वक्र। परम सरल रेखा भी नहीं खींचा जा सकता है।** ** तम क्या है ? ** आकाश कैसे बना है ? ** सत्य प्रमाणित निम्न प्रकार से किया जाता है। ** मेरे विचार में मन , आत्मा , प्राण , ब्रह्म, परमात्मा की परिभाषा निम्न हैं। मन - पांच ज्ञानेंद्रियां नाक , कान, आंख , त्वचा एवं जीभ द्वारा निर्मित एक विशेष तरंग को मन कहते हैं। उपरोक्त सब मेरा अपना सोच और विचार है। इस पर आप सब अपना विचार और प्रतिक्रिया से अवगत कराएं तो आभारी रहूंगा। ********** क्रमशः ********************** My blog URL ********* ************ ******** |