इंजीनियर पशुपति की नजर में गुणी पुरुष |
कविता
गुणी पुरुषों के लक्षण
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
गुणी पुरुषों का देश नहीं ,
आज कहीं बसे , कल कहीं चले ,
विद्या आदर विश्वास मिले ,
ये बिना बुलाए वहां चले।
जहां नहीं उपरोक्त बातें,
ए बिना कहे वहां से टले,
जहां पर घोर अपमान मिले,
बिन आग के स्वयं जले ।
जहां करूणा सौहार्द मिले,
ए मोम बनें वहां पर गले,
जहां सज्जन विद्वान मिले,
बिना भोजन वहां पे पले।
जहां सौंदर्य मधुरता हो,
बिन साधन वहां पे फले,
जहां सभ्यता अनुशासन,
ए अपना नियम भी बदले।
जहां दुष्ट , शठ , धूर्त , चोर,
वहां नहला पे बने दहले ,
जहां अंतरंग मित्रता हो ,
वहां ए जाते हैं पहले।
दीनों हेतु ए दीनबंधु ,
जनकल्याण धर्म इनका ,
परोपकार दिनचर्या है ,
अपना फिक्र नहीं जिनका।
उन्नत समाज बनता इनसे ,
ए हैं रक्षक मानवता का ,
अनुसंधान सब इनकी देन,
ए वैरी हैं दानवता का।
इनका आदर और सम्मान,
करना चाहिए हम जन को ,
सब विकसित है इनके कारण,
नहीं जा पाये पतन को।
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इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
रोआरी , प चंपारण , बिहार , भारत , पीन 845453
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