शनिवार, 7 मई 2022

गुणी पुरुषों का लक्षण





इंजीनियर पशुपति की नजर में गुणी पुरुष


कविता
गुणी पुरुषों के लक्षण
रचनाकार - इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद

गुणी पुरुषों का देश नहीं ,
आज कहीं बसे , कल कहीं चले ,
विद्या आदर विश्वास मिले ,
ये बिना बुलाए वहां चले।

जहां नहीं उपरोक्त बातें,
ए बिना कहे वहां से टले,
जहां पर घोर अपमान मिले,
बिन आग के स्वयं जले ।

जहां करूणा सौहार्द मिले,
ए मोम बनें वहां पर गले,
जहां सज्जन विद्वान मिले,
बिना भोजन वहां पे पले।

जहां सौंदर्य मधुरता हो,
बिन साधन वहां पे फले,
जहां सभ्यता अनुशासन,
ए अपना नियम भी बदले।

जहां दुष्ट , शठ , धूर्त , चोर,
वहां नहला पे बने दहले ,
जहां अंतरंग मित्रता हो ,
वहां ए जाते हैं पहले।

दीनों हेतु ए दीनबंधु ,
जनकल्याण धर्म इनका ,
परोपकार दिनचर्या है ,
अपना फिक्र नहीं जिनका।

उन्नत समाज बनता इनसे ,
ए हैं रक्षक मानवता का ,
अनुसंधान सब इनकी देन,
ए वैरी हैं दानवता का।

इनका आदर और सम्मान,
करना चाहिए हम जन को ,
सब विकसित है इनके कारण,
नहीं जा पाये पतन को।
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इंजीनियर पशुपतिनाथ प्रसाद
रोआरी , प चंपारण , बिहार , भारत , पीन  845453
E-mail  er.pashupati57@gmail.com
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